Posted by: Komila Vashist | April 17, 2008

Promise from GOD

मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना |
मेरे लिए खर्च करके तो देख, तेरे लिए कुबेर के भंडार न खोल दूँ तो कहना |

मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख, कृपा न बरसे तो कहना |
मेरी तरफ़ आकर तो देख, तेरा ध्यान न रखूँ तो कहना |

मेरी बात लोगों से करके तो देख, तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना |
मेरे चरित्रों का मनन करके तो देख, ज्ञान के मोती न बरसे तो कहना |

मुझे अपना मददगार बना के तो देख, तुझे सबकी गुलामी से ना छुडा दूँ तो कहना |
मेरे लिए आँसू बहा के तो देख, तेरे जीवन में आनंद के सागर न बहा दूँ तो कहना |

मेरे लिए कुछ बनके तो देख, तुझे कीमती ना बना दूँ तो कहना |
मेरे मार्ग पर निकल कर तो देख, तुझे शांतिदूत न बना दूँ तो कहना |

तू मेरा बनकर तो देख, हर एक को तेरा न बना दूँ तो कहना |
मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना |

Do we do anything in name of God ? Oh yeah we do… whenever something goes wrong, whenever we fail, whenever we want name-fame, we do it in name of God (physically only). Bhagvad Gita says, ” Wherever you may live, whichever job you are engaged in, first of all realize your Supreme Self. Then whatever you do will be without a sense of doership (karta) and hence will not bind you.


Responses

  1. Bahut sahi poem hai…keep sharing such amazing stuff 🙂

  2. Interesting poem. Thanks for sharing. By the way, check out my blog too. Thanks.


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